Tuesday 9 April 2013

सितारा है वो भी ..

वक़्त यादों में रो गुज़ारा है जो भी ..
इबादत के जैसे ही प्यारा है वो भी ..

दर्द कितना छुपा है पीछे हँसी के ..
हँस के हमने मगर गुज़ारा है वो भी ..

क्या हुआ जो वो सूरत से अच्छा नहीं ..
फिर भी माँ का सबसे दुलारा है वो भी ..

आज देखने भी कोई छत पे आया नहीं ..
टूटता ही सही मगर सितारा है वो भी ..

रखी शर्त उसने सितम की हमेशा ..
इश्क की आग में अब गंवारा है वो भी ..

पहुचेगी कब तक खुदा तक कहानी ..
देखना मुझको अब नज़ारा है वो भी ..

हर एक ना पे ऐसे न रूठो "मुसाहिब"..
पास आने का बस एक इशारा है वो भी ..

No comments:

Post a Comment