अब बाज़ार से खाली हाथ लौटना पड़ता है ..
घर आने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है ..
प्यार कितना भी कर लूँ वो पराया ही तो है ..
जो अपनों ने किया सौ बार सोचना पड़ता है ..
उस नशे में मैं कहीं भूल न ज़ाऊ तुझको ..
मुझे पीने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है ..
लौट पाउंगा सलामत शाम तक मैं घर ..
घर से जाते हुए सौ बार सोचना पड़ता है ..
जाने कौन कब मांग ले हर लम्हे का हिसाब ..
सांस लेने में भी सौ बार सोचना पड़ता है ..
सर से पांव तक क़र्ज़ में डूबा है "मुसाहिब"..
मरने में भी अब सौ बार सोचना पड़ता है ..
घर आने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है ..
प्यार कितना भी कर लूँ वो पराया ही तो है ..
जो अपनों ने किया सौ बार सोचना पड़ता है ..
उस नशे में मैं कहीं भूल न ज़ाऊ तुझको ..
मुझे पीने से पहले सौ बार सोचना पड़ता है ..
लौट पाउंगा सलामत शाम तक मैं घर ..
घर से जाते हुए सौ बार सोचना पड़ता है ..
जाने कौन कब मांग ले हर लम्हे का हिसाब ..
सांस लेने में भी सौ बार सोचना पड़ता है ..
सर से पांव तक क़र्ज़ में डूबा है "मुसाहिब"..
मरने में भी अब सौ बार सोचना पड़ता है ..
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