Tuesday 23 April 2013

अमानत में खयानत कर भी जाते है ............

जो बिछड़ते हैं फिर कभी मिल भी जाते है ..
खुली आँखों के सपने सच हो भी जाते है ..

यूँ ही काट लेंगे जिंदगी इंतज़ार में सोचकर ..
जो उड़े थे बेखबर शाम तक लौट भी आते है ..

घर से निकलते हुए उसने सौ बार पलटकर देखा ..
सुना है मुड़कर देखने वाले वापस भी आते है ..

यूँ ही करते रहो मशक्कत ताउम्र इश्क में ..
एहसासों को जुबां तक आने में वक़्त लग भी जाते है ..

इतने बेखबर होकर किसी पे भरोसा न रखो ..
आजकल लोग अमानत में खयानत कर भी जाते है ..

"मुसाहिब" तेरे बीमार होने से कुछ तो हुआ ..
जिनकी राहें तकता था वो अब मिलने भी आते है ..

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