आदाओं से जिनके सताए हुए हैं ....
उनकी ही नज़रों के कायल हुए है ...
जब चाहा जोड़ा जब चाहा तोडा ....
फिर भी उनके ही पावोँ के पायल हुए है ..
कहाँ ढूढ़ते हो ज़माने में उसको ..
वो कहाँ मिल सका जिसके हायल हुए है ...
रखते हो पावों को काटों से डरकर ...
"मुसाहिब" तो फूलों से घायल हुए हैं ...
हायल - स्वप्न, ख्वाब
उनकी ही नज़रों के कायल हुए है ...
जब चाहा जोड़ा जब चाहा तोडा ....
फिर भी उनके ही पावोँ के पायल हुए है ..
कहाँ ढूढ़ते हो ज़माने में उसको ..
वो कहाँ मिल सका जिसके हायल हुए है ...
रखते हो पावों को काटों से डरकर ...
"मुसाहिब" तो फूलों से घायल हुए हैं ...
हायल - स्वप्न, ख्वाब
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