क्यूँ न मुझे वो मेरी हाल पे छोड़ देते हैं ..
नींद में भी आकर मेरे ख्वाब तोड़ देते हैं ..
कुछ तो दर्द का एहसास उसे भी करा दे ..
जो मोहब्बत में बेवजह वादे तोड़ देते हैं ..
किस किस को बताएं की दिल से न खेल ..
है खिलौना नहीं जिसे फिर से जोड़ देते हैं ..
कर सैय्याद से बगावत आशियाँ जो बनाया ..
बच्चे भी तो एक दिन आशियाँ छोड़ देते हैं ..
अब तो आलम ये है की देख भी नहीं सकते ..
वो आहट सुनते ही अपना रास्ता मोड़ देते हैं ..
दिखे मोहब्बत का दर्द भी उनकी ग़ज़लों में ..
अब वो अपने मक्ते में "मुसाहिब" जोड़ देते हैं ..
नींद में भी आकर मेरे ख्वाब तोड़ देते हैं ..
कुछ तो दर्द का एहसास उसे भी करा दे ..
जो मोहब्बत में बेवजह वादे तोड़ देते हैं ..
किस किस को बताएं की दिल से न खेल ..
है खिलौना नहीं जिसे फिर से जोड़ देते हैं ..
कर सैय्याद से बगावत आशियाँ जो बनाया ..
बच्चे भी तो एक दिन आशियाँ छोड़ देते हैं ..
अब तो आलम ये है की देख भी नहीं सकते ..
वो आहट सुनते ही अपना रास्ता मोड़ देते हैं ..
दिखे मोहब्बत का दर्द भी उनकी ग़ज़लों में ..
अब वो अपने मक्ते में "मुसाहिब" जोड़ देते हैं ..
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