Thursday 29 August 2013

कोई न कोई तो पीछे कहीं छूट जाता है ..

इतना नाजुक है दिल अक्सर टूट जाता है ..
ऊँची आवाज़ में भी बोलो तो रूठ जाता है ..

कोशिशें लाख करो सबके साथ चलने की ..
कोई न कोई तो पीछे कहीं छूट जाता है ..

आईना हो या हो किस्मत किसी के दिल की ..
पत्थर दिल से लगे तो अक्सर  फूट जाता है ..

वो थकता नहीं था दिल की बातें करते करते.
अब जिक्र भी हो दिल का तो रूठ जाता है ...

हैरां न हो "मुसाहिब" दिल के टुकड़े देखकर  ..
दरारें पड़ ही जाती है जब रिश्ता टूट जाता है ..

Wednesday 28 August 2013

अब महँगा बिकेगा ये दिल प्यार के बाज़ार में ..

पार कर सकता हूँ मैं हर दरिया तेरे प्यार मे..
शर्त ये है की सनम उस पार मिले इंतज़ार मे ..

आज मेरे ही क़त्ल के इश्तिहार थे अखबार में ..
और नीचे मेरे ही नाम लिखे थे गुनहगार में ..

इस तरह हर ख़बर मेरे क़ातिल को मिलती रही ..
कोई तो रह रहा होगा उनका मेरे सिपहसालार में ..

टूटा हुआ है दिल टूटने का दर्द समझता होगा ..
अब महँगा बिकेगा ये दिल प्यार के बाज़ार में ..

कितना सताएगा अपने दिल को बेवजह “मुसाहिब” ..
सिर्फ तू ही तो नहीं इस लुटा प्यार के रोजगार में ..

Tuesday 27 August 2013

तुम भी तो कभी आजमाओ खुद को ..

मुझसे कहते हो भूल जाओ मुझको ..
तुम भी तो कभी आजमाओ खुद को ..

खुद से ही न उठ जाए भरोसा मेरा ..
इतना भी न झूठा बनाओ मुझको ..

ख़ुशी बिगाड़ देती है आदत सबकी ..
गम ही बेहतर है कोई बताओ उन को ..

कर दी नीलामी हमने भी दिल की ..
आखिरी रात है दुल्हन सा सजाओ इस को ..

जड़ें सूखी है तभी पत्ते भी सूखे हैं ..
छत से पहले नीव तो बनाओ इस को ..

नया दिल टूट ही जता है अक्सर ..
"मुसाहिब " इतना न सताओ खुद को ..