Wednesday, 28 August 2013

अब महँगा बिकेगा ये दिल प्यार के बाज़ार में ..

पार कर सकता हूँ मैं हर दरिया तेरे प्यार मे..
शर्त ये है की सनम उस पार मिले इंतज़ार मे ..

आज मेरे ही क़त्ल के इश्तिहार थे अखबार में ..
और नीचे मेरे ही नाम लिखे थे गुनहगार में ..

इस तरह हर ख़बर मेरे क़ातिल को मिलती रही ..
कोई तो रह रहा होगा उनका मेरे सिपहसालार में ..

टूटा हुआ है दिल टूटने का दर्द समझता होगा ..
अब महँगा बिकेगा ये दिल प्यार के बाज़ार में ..

कितना सताएगा अपने दिल को बेवजह “मुसाहिब” ..
सिर्फ तू ही तो नहीं इस लुटा प्यार के रोजगार में ..

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