इन खिलती हुई कलियों को फूल बना दो ...
हर दुआओं को मकबूल बना दो ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
याद इंसान को इंसान की भूल दिला दो ...
ये मोहब्बत बस व्यापार है दिल का ...
सूद की तो बात छोडो ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
मुझे बस मेरा मूल दिला दो ...
कुछ बना रहे हैं गुनाहों के ढेर पे सपनो का महल ...
जाना एक रोज़ उनको भी होगा ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
याद दुनिया का उन्हें ये उसूल दिला दो .....
हर दुआओं को मकबूल बना दो ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
याद इंसान को इंसान की भूल दिला दो ...
ये मोहब्बत बस व्यापार है दिल का ...
सूद की तो बात छोडो ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
मुझे बस मेरा मूल दिला दो ...
कुछ बना रहे हैं गुनाहों के ढेर पे सपनो का महल ...
जाना एक रोज़ उनको भी होगा ...
कर सको कुछ तो इतना सा कर दो ...
याद दुनिया का उन्हें ये उसूल दिला दो .....
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