Wednesday 13 March 2013

वो आया तो था ...

वो रूठे रूठे ही सही सामने तो था  ..
वो धुँधला ही सही आईना तो था ....

वो मुझसे न सही मेरे अजीजो से सही ...
हाल ए  दिल मेरा उसने पूछा तो था ...

कैसे कहते हो की दूर रह कर आँखों को सुकून है ..
फरेबी ही सही दो चार नज़र उसने देखा तो था ..

वो लिख नहीं पाए उन्हें अल्फाज़ न मिला ..
कोशिश में कागजात लबो पे लगाया तो था ..

वो चैन से सोये पूरी उम्र बेखबर ..
करवटों में एक रात उसने गुज़ारा तो था ...

ये मौसम सा बदलता मिजाज़ है इंसान का ..
किसी बात पे उसने मुझे समझाया तो था ...

मैंने सोच कर गैरों की बातें पीछे नहीं देखा ....
वो तोड़कर लहजा सभी सहमे कदम आया तो था ...

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