Wednesday 20 March 2013

कसम झूठी निभाएंगे ...

कसम खाए थे सब झूठे हमें मालूम भी न था ..
की अब तो जिद है ये मेरी कसम झूठी निभाएंगे ...

लगा लो हर तजुर्बा ज़िन्दगी हमें गुमनाम रखने की ..
लहर के संग हम साहिल तक उठ उठ के आयेंगे ...

रख निगरानियों में ऐ फलक सितारों को अब अपने ...
किसी दिन खुद पे जो आये ज़मी पे खींच लायेंगे ....

ये बेहोश है दुनिया सियासत भी समझती है ...
किसी दिन होश में आये तो फिर इनको बताएँगे ..

खामखाह ज़िन्दगी की उलझन में पड़ते हो ...
आएगी मौत तो हंस के वहां भी हम ही जायेंगे ...

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