इन मौसमों से इतनी नजदीकियां न रखो ...
हल्की सी भी बदले तो सेहत पे असर करती है ....
ये ग़ज़ल है सिर्फ लफ्जों का खेल नहीं ...
सलीके से लिख दे तो दिल पे असर करती है ...
दिल की चोट हल्की हो या गहरी ..
लगती है एक बार तो ताउम्र बसर करती है ....
तुम नादान हो अभी जो डरते रहते हो ...
दिल से जो मांगो तो दुआएं भी असर करती है ...
हल्की सी भी बदले तो सेहत पे असर करती है ....
ये ग़ज़ल है सिर्फ लफ्जों का खेल नहीं ...
सलीके से लिख दे तो दिल पे असर करती है ...
दिल की चोट हल्की हो या गहरी ..
लगती है एक बार तो ताउम्र बसर करती है ....
तुम नादान हो अभी जो डरते रहते हो ...
दिल से जो मांगो तो दुआएं भी असर करती है ...
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