देख अब कैसी हुकूमत है तेरी दिल्ली में ए ग़ालिब
यहाँ पिंजड़े मैं पंछी है, चमन में काफ़िर रहते है।।।
जहाँ पर मीर रहते थे जहाँ ग़ालिब रहा करते ,
वहां अब कैद बुलबुल है रिहा सैय्याद रहते है।।।
ठिठुरता है जहाँ ये देश पूरा कपकपी लेकर,
जहाँ पर मीर रहते थे जहाँ ग़ालिब रहा करते ,
वहां अब कैद बुलबुल है रिहा सैय्याद रहते है।।।
ठिठुरता है जहाँ ये देश पूरा कपकपी लेकर,
वहां मखमल के चादर में राजा राज करते है ।
न जाने लोग कितने हैं जो भूखे ही हैं सो जाते,
पर दिल्ली में ये राजा अक्सर भोज करते हैं।
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