Tuesday 20 November 2012

बहुत सींचे पानियो से


बहुत सींचे पानियो से रक्त से सींचे जरा,
गया फिर वक़्त ऐसा, लाल कर दे रक्त से तू ये धरा,
युद्ध कर तू हर तरफ से, दुश्मन चतुर है खरा ,
छोड़ जब तक की ये साबित हो जाये मरा,
बहुत सींचे पानियो से रक्त से सींचे जरा।।।।

तमन्ना फिर शहादत की वही जागी है जन जन में,
वही अशफाक फिर शामिल वही बिस्मिल है तन मन में,
धधकती आग पे फिर से खड़ा ये हिन्द अपना है,
वही आजाद भारत का फिर सपना है जन गन में |

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