Thursday 28 February 2013

आग का दरिया है डूब के जाना है ...

लोग कहते है तू कैसा दीवाना है ..
बस तू ही तू है कहाँ दिलबर का ठिकाना है ..
वो आ न पाए तो ये उनका फ़साना है ..
मैं तो अब भी खड़ा हूं उस दरिया में ..
जिसे आग का कहते हैं और डूब के जाना है ..
बन जाते अगर मेरे तो निभाते सात जन्मो तक ..
तन्हा ही सब आये हैं तन्हा ही तो जाना है ...
मुझपे एक कतरा भी आंसू कभी जाया न कर देना ...
तुम हंसते हुए आये हो तुम्हे हंसते हुए जाना है ..
मैं तो अब भी खड़ा हु उस दरिया में ..
जिसे आग का कहते हैं और डूब के जाना है ..
कहा किसी से भी नहीं बस जार जार रोये ..
ये मूझसे शुरू हुई मुझपे ही बीत जाना है ...
कसूर किसी का नहीं बस किस्मत की बात है ..
तुम जा नहीं सकते मुझे जिस ओर जाना है ..
शायद ये दुनिया ही वो नहीं जहाँ मेरा ये दिल लगे ...
फुर्सत करो मुझे बहुत दूर तक जाना है ....
मैं तो अब भी खड़ा हूं उस दरिया में ..
जिसे आग का कहते हैं और डूब के जाना है ..

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