Friday 22 February 2013

यूँ हर बात पे मुझको छेड़ा न करो ...

यूँ हर बात पे मुझको छेड़ा न करो ...
एक बार उलझ जाऊ सुलझाना मुस्किल होता है ..
तुम्हारा क्या तुम आँखों से खेलने को मोहब्ब्बत कहते हो ...
हमें अपने दिल को बहलाना मुस्किल होता है ....
अँधेरा हो तो चलने में सिर्फ डर ही लगता है ...
मगर दीये के संग जाना मुस्किल होता है ....
ये ख्वाबों में है जन्नत या जन्नत में ख्वाब है ...
जब सामने हो तुम तो कह पाना मुस्किल होता है ....
तुम्ही हो वो रागिनी जिसे मैं गुनगुनाता हूँ ..
जो तुम न हो तो जमाना मुस्किल होता है ....
यूँ हर बात पे मुझको छेड़ा न करो ...
एक बार उलझ जाऊ सुलझाना मुस्किल होता है।।।।।

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