Friday 18 October 2013

या यूँ कहो की दीवान-ऐ-मुसाहिब है तू .

न हो तमसील जिसकी वो नाहिद है तू ..
या यूँ कहो की मशीयत का वाजिद है तू ...

खता जितनी भी है हजीमत मेरी ..
या यूँ कहो की हर बात पे वाजिब है तू ...

हो ही जाती है पैकार ऐ मोहब्बत बेजा ..
या यूँ कहो की इस इल्म में माहिर है तू ...

बेनजीर है ज़माने में हसरत तेरी ..
या यूँ कहो की इस बात से नावाकिफ है तू ...

तेरी हर एक अदा ग़ज़ल है मेरी ...
या यूँ कहो की दीवान-ऐ-मुसाहिब है तू .

तमसील - Example , नाहिद - Beauty, मशीयत - God's Will , हजीमत  - Defeat, पैकार - war, बेनजीर - matchless , दीवान - collection of Ghazals

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