Monday 23 September 2013

"मुसाहिब" दिल ही जलाया करते ..

तुम बेसबब याद न आया करते ..
हम  यूँ ही वक़्त न जाया  करते ..

जख्म हमको दिखाते तो शायद ..
मर्ज ज़माने से तो  अच्छा करते ..

रूख़ बदल लिया  बेतलब  उसने..
 कुछ  तो मुझपर  भरोसा रखते ..

हुस्न - ऐ -जमाल छुपाते  वो रहे ..
उनके जख्मो  पे भी बोसा  करते ..

जुल्फ का खुलना तो  बहाना   है ..
मुझे गैर नज़रों  से छुपाया करते  ..

काश दर्द भी जल जाता चरागों में .
"मुसाहिब" दिल ही जलाया करते ..

(जमाल - Beauty ,  बोसा - Kiss )

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