Tuesday 27 August 2013

तुम भी तो कभी आजमाओ खुद को ..

मुझसे कहते हो भूल जाओ मुझको ..
तुम भी तो कभी आजमाओ खुद को ..

खुद से ही न उठ जाए भरोसा मेरा ..
इतना भी न झूठा बनाओ मुझको ..

ख़ुशी बिगाड़ देती है आदत सबकी ..
गम ही बेहतर है कोई बताओ उन को ..

कर दी नीलामी हमने भी दिल की ..
आखिरी रात है दुल्हन सा सजाओ इस को ..

जड़ें सूखी है तभी पत्ते भी सूखे हैं ..
छत से पहले नीव तो बनाओ इस को ..

नया दिल टूट ही जता है अक्सर ..
"मुसाहिब " इतना न सताओ खुद को ..

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