फ़साने वो जिन में सुहाने लिखे हैं ...
मिले आज ख़त जो पुराने लिखे हैं ...
अभी तक भी बातें कही जो नहीं हैं ..
उन्हें छेड़ कर ही तराने लिखे हैं ...
कहीं वो कहानी भी धुल ही न जाये ...
बुजुर्गों के दिल में ज़माने लिखे हैं ...
यहाँ अब ग़ज़ल से कहाँ प्यार होता ...
यहाँ अट -पटे सबने गाने लिखे हैं ...
कभी अश्क़ आँखों में हो या खुशी हो ...
"मुसाहिब" ग़ज़ल के बहाने लिखे हैं ...
मिले आज ख़त जो पुराने लिखे हैं ...
अभी तक भी बातें कही जो नहीं हैं ..
उन्हें छेड़ कर ही तराने लिखे हैं ...
कहीं वो कहानी भी धुल ही न जाये ...
बुजुर्गों के दिल में ज़माने लिखे हैं ...
यहाँ अब ग़ज़ल से कहाँ प्यार होता ...
यहाँ अट -पटे सबने गाने लिखे हैं ...
कभी अश्क़ आँखों में हो या खुशी हो ...
"मुसाहिब" ग़ज़ल के बहाने लिखे हैं ...
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